हेलो दोस्तों, आज मैं आपको FIR ka full form, FIR full form in hindi, FIR meaning in hindi, FIR क्या है, FIR कैसे दर्ज की जाती है, FIR दर्ज करने के नियम, इत्यादि के बारे में बताने वाला हूँ।
आपलोगो ने FIR का नाम कई जगह सुना होगा और इसके बारे में आपने कही ना कही थोड़ा बहुत पढ़ा भी होगा लेकिन क्या आपको FIR का फुल फॉर्म पता है?
आपमें से कई लोगो ने FIR का नाम फिल्म या न्यूज़ में सुना होगा या फिर आपने कहीं newspaper और किताबों में जरूर पढ़ा होगा।
हमलोगो को FIR के बारे में पूरी जानकारी होनी बहुत जरुरी है क्यूंकि आज के समय में आपको कभी भी FIR दर्ज करवाने की जरुरत पड़ सकती है।
ऐसे बहुत से लोग हैं जो FIR के बारे में सुने तो है लेकिन उन्हें FIR के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है और यहाँ तक की बहुत से लोगों को FIR ka full form तक पता नहीं होता है।
अगर आपको इसके बारे में नहीं पता है तो कोई बात नहीं क्यूंकि आज मैं आपको FIR full form के अलावा इनसे जुड़ी सारी जानकारी बताने वाला हूँ।
इसलिए आप इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक पूरा पढ़िए ताकि आपको FIR के बारे में सारी जानकारी अच्छे से पता चल सकेंऔर आगे चलकर आपको कोई समस्या भी ना आये।

FIR Ka Full Form –
एफआईआर का फुल फार्म “First Information Report” है। एफआईआर को हिंदी में “प्रथम सूचना रिपोर्ट” कहा जाता है।
FIR Full Form In English –
FIR का फुल फॉर्म इंग्लिश में “First Information Report ” होता है।
F – First
I – Information
R – Report
◆ What is the full form of FIR? – Full Form of FIR is “First Information Report“
FIR Full Form In Hindi –
एफआईआर का फुल फॉर्म हिंदी में “प्रथम सूचना रिपोर्ट” होता है।
F – First (प्रथम)
I – Information (सूचना)
R – Report (रिपोर्ट)
FIR क्या है? (FIR meaning in hindi)
FIR पुलिस के द्वारा लिखी गयी एक लिखित याचिका होती है। जब किसी भी प्रकार की घटना किसी के साथ होती है तो वह व्यक्ति इसका शिकायत पुलिस थाने में FIR के द्वारा करवा सकता है।
एफआईआर किसी के भी द्वारा दर्ज की जा सकती है चाहे वह व्यक्ति जिसके साथ कोई घटना हुई हो या उसके लोई रिस्तेदार या फिर कोई ऐसा व्यक्ति जिसके पास घटना का चश्मदीद गवाह हो।
आपको अपने घटना के शिकायत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR के द्वारा करनी चाहिए जिससे की अपराधी को जल्द से जल्द पकड़ा जा सकें।
FIR एक बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज है क्यूंकि FIR के वजह से ही आपराधिक न्याय की प्रक्रिया में police अधिकारी को बहुत मदद मिलती है।
इसलिए FIR की कई copy बनाई जाती है और एक copy FIR दर्ज करवाने वाले को भी दी जाती है और जब FIR registered हो जाती है तो उसके ठीक बाद ही police घटना के बारे में जांच करना शुरू कर देती है।
FIR दर्ज करने के नियम –
एफआईआर दर्ज करने के नियम इस प्रकार हैं –
- FIR उस व्यक्ति के द्वारा कराई जानी चाहिए जो अपराधी के बारे में जानकारी रखता हो।
- पुलिस के द्वारा FIR तब लिखा जाता है जब FIR लिखवाने वाले के द्वारा मौखिक रूप से जानकारी दी गयी हो।
- FIR लिखवाने वाले व्यक्ति के पास पूरा अधिकार होता है की वह अपने द्वारा दर्ज करायी गयी FIR को अच्छे से पढ़ सके और अपने एफआईआर की एक कॉपी मांग सके।
- FIR दर्ज होने के बाद FIR करवाने वाले के हस्ताक्षर FIR पर कराये जाते हैं।
- यदि FIR में FIR करवाने वाले के द्वारा दी गयी जानकारी में कुछ गलत जानकारी लिखा गया हो या फिर जानकारी में कुछ फेर बदल हुआ हो तो उस व्यक्ति के पास पूरा अधिकार है की वह FIR मे उचित बदलाव करवा सकें।
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FIR कैसे दर्ज की जाती है?
FIR दर्ज करवाने के लिए जिसके साथ अपराध हुआ है वह खुद जाकर FIR करवा सकता है या उसके रिस्तेदार या फिर जिसके पास घटना का चश्मदीद गवाह हो।
एफआईआर दर्ज करवाने के लिए आपको पुलिस स्टेशन जाना होता है लेकिन इमर्जेंसी की स्थिति में आप पुलिस को फोन कॉल या ई-मेल के माध्यम से भी FIR दर्ज करवा सकते हैं।
FIR दर्ज कराने वाले व्यक्ति की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह पुलिस को घटना के समय और तारीख को सही-सही बताएं।
एफआईआर में लिखा क्राइम नंबर भविष्य में काम आता है। इसलिए आप FIR की कॉपी पर पुलिस अधिकारी के हस्ताक्षर और थाने की मुहर लगवाकर उसकी एक कॉपी अपने पास भी रखे।
FIR कहां दर्ज की जाती है?
FIR दर्ज करवाने के लिए आपके साथ जहाँ घटना हुई है उसके नजदीकी पुलिस स्टेशन जाना चाहिए ताकि जल्दी से जल्दी अपराधी को पकड़ा जा सकें।
कोई भी व्यक्ति जिसके साथ किसी भी प्रकार की घटना हुई हो वह FIR दर्ज करवाने के लिए अपने क्षेत्र के नजदीकी पुलिस स्टेशन जा सकता है।
FIR कौन दर्ज कर सकता है?
FIR किसी भी व्यक्ति के द्वारा दर्ज की जा सकती है। जिसके साथ कोई घटना हुई हो या कोई चश्मदीद गवाह या फिर उसके रिस्तेदार में से कोई भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है।
यह जरूरी नहीं है कि जिस व्यक्ति के साथ घटना हुई हो वही केवल FIR दर्ज करे, वल्कि एक पुलिस अधिकारी जो संज्ञेय अपराध के बारे में जानता है, वह खुद FIR दर्ज कर सकता है।
FIR दर्ज करने की समय अवधि –
FIR दर्ज करने की कोई समय अवधि तय नहीं है लेकिन फिर भी आप जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी FIR दर्ज करने की कोशिश करें ताकि किसी भी प्रकार की संदेह की गुंजाइश ना हो।
वैसे देखा जाए तो FIR दर्ज करने की कोई समय अवधि इसलिए तय नहीं होती है क्यूंकि क्योंकि यह अलग-अलग मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर अलग-अलग निर्भर करती है।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार आपको सभी तरह के FIR को जल्द से जल्द दर्ज करवाने चाईए क्यूंकि समय पे दर्ज की गयी FIR किसी भी तरह की शंका को दूर करता है।
FIR दर्ज करते समय किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए?
आप जब भी FIR दर्ज करने जाए तो आपको कुछ बातें ध्यान में रखना चाहिए –
- जब आप एफआईआरलिखवा लेते हैं तो उस एफआईआर को एक बार खुद से जरूर पढ़ लेना चाहिए।
- एफआईआर पढ़ने के बाद जब आपको लगे की मेरे द्वारा दी गई सभी जानकारी सही है तो ही आप उस एफआईआर पे हस्ताक्षर करें।
- आपके द्वारा लिखाये गए एफआईआर पे आपके साथ-साथ पुलिस अधिकारी के हस्ताक्षर और पुलिस थाने की स्टेंप का होना जरुरी है।
- आप अपने एफआईआर की एक कॉपी अपने पास रखे ताकि आप भविष्य में अपने केस की जानकारी कभी भी पुलिस से ले सकें।
निष्कर्ष –
आज के इस post में हमनें FIR के बारे में बहुत कुछ जाना हैं, हमने FIR Ka Full Form, FIR full form in hindi, FIR ka matlab, FIR meaning in hindi, FIR क्या है, FIR कैसे दर्ज की जाती है, FIR दर्ज करने के नियम, इत्यादि के बारे में बात किया है।
मुझे उम्मीद है की इस article में बताये गए FIR से रिलेटेड सारी जानकारी आपको समझ आ गए होंगे और अब आपको FIR के बारे में सब कुछ पता चल गया होगा।
अगर आप मुझसे FIR से सम्बंधित कोई भी सवाल पूछना चाहते हैं तो आप नीचे comment कर के पूछ सकते हैं और अगर कोई सुझाब देना चाहते हैं तो भी आप बता सकते हैं।
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